वृक्ष ठंडी गर्मी और बरसात ,
हर मौसम में हमारे साथ |
रखता है वह हर पल हर क्षण हमारा ध्यान
हरा भरा वह वृक्ष , रहता सदा हमारी आँखों के समक्ष |
वह है एकाग्रता की मूरत
वह है ईश्वर की एक सूरत |
आने वाली दुष्ट हवाएं , उसके निर्मल पत्तो से
उसकी शाखाओ के जत्थों से , हो जाती निर्मल निःस्वार्थी |
छोटे-छोटे तृण भी करते आदर इसका
करता किरणों से स्वागत सूरज इसका |
वृक्ष है ये न्यारा,
ये वक़्त है अर्पण इसको सारा |
इसकी हर एक श्वास से श्वासे भरता हूँ ,
इसलिए इसके चरणों का मे वंदन करता हूँ|
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