मेरी कविता
गुरुवार, 9 सितंबर 2010
मय
" मय को पियो इतना
के मन बहल जाए
मय को पियो इतना
के ग़म मे डूबा संभल जाए
ना करो यारी इससे इतनी
के जिंदगी बिख़र जाए "
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