बचपन की यादें कुछ ऐसी है भैया,
कभी नहीं जाती मेरे मन मस्तिष्क से भैया
मेरे प्यारे राज दुलारे भैया
राखी पर आना तुम भैया
साथ-साथ पले बढ़े, खेले साथ हम भैया
शरारतो मे उस्तादों के उस्ताद थे तुम भैया
बचपना न भुला पाउ मे वो कभी अपना भैया
राखी पर आना तुम भैया
याद है तुम्हे मिट्टी के टीले बनाना आँगन मे
और वो दादी से सुनना कहानी रोज भैया ??
याद है बारिश मे कागज की नाव दौड़ाना
और वो डाट खाने पर एक दुसरे को चिढाना भैया
राखी पर आना तुम भैया
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें