मंगलवार, 19 मई 2009

शिकायत है तुमसे

((देश की सेवा मे समर्पित एक वीर जवान को अपनी पत्नी का पत्र ))
शिकायत है तुमसे की मिलते नहीं अब हमसे
दुरिया क्यों है हम तो अन्जान है इस बात से
हर पल तुम्हारी राह तक रहे है
और ये पलके रो रो कर थक रही है
सोच मे पड़ गए है हम क्या भूल हुई
हमारी तुम्हारी राहे क्यों दूर हुई
वो दिन कितने अलग थे और ये दिन कितने अलग है
कितनी बातें याद आती है,हर याद हमें सताती है
याद आती है तुम्हारी हर बात और तुम्हारा साथ
हम रूठते थे तुम मनाते थे
हर दुःख में भी ख़ुशी का एहसास कराते थे
अपना दुःख छुपाते थे,मुझे हर मुश्किल मे हँसना सिखाते थे
कब आओगे घर बस इतना बता दो
तुम्हारे आने की ख़बर भी मुझे जिंदा रखती है |

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